मम्मी बोलते-बोलते.. माँ पर क्यों आ गए..!
कैलीफोर्निया का १३ सितम्बर २०२०
सुबह *आठ बजे* चाय के मेज पर...
"कैसा रहा आपका कार्यक्रम ? कब सोईं आप? बेटे-बहू ने एक संग पूछा।
"सुबह पाँच बजे...," मेरे कुछ कहने के पहले मेरे पति शिकायत करने के अंदाज़ में कहा।
"आप सारी रात जगी रहीं .. ? हम स्तब्ध हैं और आपके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं..," बच्चों का स्वर ऊँचा हो रहा था...।
"यह कैसा नशा है तुम्हारा... भोर के साढ़े तीन बजे होने वाले कार्यक्रम में भागीदारी लेना..?" पति महोदय प्रज्जवलित हवन में घी डालने का कार्य कर रहे थे।
८ मार्च से अक्टूबर तक कैलीफोर्निया भारत से साढ़े बारह घंटे पीछे है समय के मामले में।
हिन्दी-दिवस के अवसर पर भारत की शाम चार बजे होने वाले दो दिवसीय अंतरराष्ट्रिय कवि सम्मेलन में शामिल होने के लिए मुझे कैलिफोर्निया की रात साढ़े तीन बजे जगना ही था।
अभी मेरा चुप रहना ही उचित था...। अमेरिका में बस रहे बच्चों का काम तो अंग्रेजी से ही चल रहा है या भारत में भी अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों में नौकरी करने से अंग्रेजी से काम चल जाता.. आपस में दोनों अंग्रेजी में ही गिटपिट कर लेते हैं... सुबह-सुबह हिन्दी में दिया ज्ञान उन्हें ज्यादा क्रोधित करता।
सुबह *दस बजे* नाश्ते के मेज पर
"हिन्दी को राष्ट्रभाषा क्यों बनाई जाए.. ? तर्क से मुझे बताने की कोशिश करना ...।" मेरे पुत्र ने पूछा।
"क्यों नहीं बनाई जाए उसके पक्ष में एक तर्क तुम ही दो।" अब मैं विमर्श के लिए अपने को तैयार कर ली थी।
"तुम मम्मी बोलते-बोलते.. माँ बोलने पर क्यों आ गए..! क्या तुमलोगों को याद है एक बार निजी वाहन से अहमदाबाद से सोमनाथ जाते समय तेज भूख लग गई थी... वाहन चालक ने एक जगह गाड़ी रोकी और हमें खिचड़ी भोजन कर लेने का सुझाव दिया था। हमलोग राजगढ़ खिचड़ी खाये और उसका स्वाद हमलोगों की आत्मा में बस गया..।
मुझे या यों कहो हमारे परिवार में सभी को.. खिचड़ी बेहद पसंद है... चावल दाल वाली चलती है.. तहरी सब्जी वाली दौड़ती है... घी, दही, पापड़, चोखा, आचार के संग वाली... लेकिन खिचड़ी भाषा, धोखा वाली होकर नजरों में चुभती है...।. सभी क्षेत्रीय भाषा का सम्मान करती हूँ। लेकिन आजादी अंग्रेजों से ली गई..! हिन्दुस्तान व हिन्दी लेखन में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग उचित समझने वाले... अंग्रेजी लिखते समय यह दलील क्यों नहीं दे पाते हैं कि अंग्रेजी बोलने व लेखन में हिन्दी शब्दों का प्रयोग भी उचित है..?"
मध्याह्न "ढ़ाई बजे" भोजन के मेज पर
"साऊथ के चारों राज्यों में ऑटो-गाड़ी चलाने वालों ने हिन्दी सीख रहे बोल रहे। वहाँ जाने वाले अन्य राज्यों के लोग तमिल कन्नड़ इत्यादि क्यों नहीं सीख रहे ? मेरी बहू का सवाल था।
"जिन्हें जिस देशज भाषा की आवश्यकता पड़ती है वे उस भाषा को जरुर सीख लेते हैं। मैं बहुत सारे बिहारियों को जानती हूँ जो कन्नड़ तमिल उड़िया मराठी बांगला अच्छे से बोल-समझ लेते हैं...,"
विमर्श का रूप बहस में बदल रहा था.. । घर में तनाव बढ़ रहा था।
"तुम मेरी बहू कन्नड़ हो, अगर तुम कोंकणी ही बोलने के जिद पर अड़ी रहती तो...?"
रात्री भोजन के बाद सोने जाने के पहले का पटाक्षेप करने वाला मेरा प्रश्न मेरी ओर से था... कैलीफोर्निया में १४ सितम्बर २०२०, रात के बारह बजकर पैतीस मिनट हो रहे थे..
हिन्दी सदैव जय हो.. हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई
कैलीफोर्निया का १३ सितम्बर २०२०
सुबह *आठ बजे* चाय के मेज पर...
"कैसा रहा आपका कार्यक्रम ? कब सोईं आप? बेटे-बहू ने एक संग पूछा।
"सुबह पाँच बजे...," मेरे कुछ कहने के पहले मेरे पति शिकायत करने के अंदाज़ में कहा।
"आप सारी रात जगी रहीं .. ? हम स्तब्ध हैं और आपके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं..," बच्चों का स्वर ऊँचा हो रहा था...।
"यह कैसा नशा है तुम्हारा... भोर के साढ़े तीन बजे होने वाले कार्यक्रम में भागीदारी लेना..?" पति महोदय प्रज्जवलित हवन में घी डालने का कार्य कर रहे थे।
८ मार्च से अक्टूबर तक कैलीफोर्निया भारत से साढ़े बारह घंटे पीछे है समय के मामले में।
हिन्दी-दिवस के अवसर पर भारत की शाम चार बजे होने वाले दो दिवसीय अंतरराष्ट्रिय कवि सम्मेलन में शामिल होने के लिए मुझे कैलिफोर्निया की रात साढ़े तीन बजे जगना ही था।
अभी मेरा चुप रहना ही उचित था...। अमेरिका में बस रहे बच्चों का काम तो अंग्रेजी से ही चल रहा है या भारत में भी अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों में नौकरी करने से अंग्रेजी से काम चल जाता.. आपस में दोनों अंग्रेजी में ही गिटपिट कर लेते हैं... सुबह-सुबह हिन्दी में दिया ज्ञान उन्हें ज्यादा क्रोधित करता।
सुबह *दस बजे* नाश्ते के मेज पर
"हिन्दी को राष्ट्रभाषा क्यों बनाई जाए.. ? तर्क से मुझे बताने की कोशिश करना ...।" मेरे पुत्र ने पूछा।
"क्यों नहीं बनाई जाए उसके पक्ष में एक तर्क तुम ही दो।" अब मैं विमर्श के लिए अपने को तैयार कर ली थी।
"तुम मम्मी बोलते-बोलते.. माँ बोलने पर क्यों आ गए..! क्या तुमलोगों को याद है एक बार निजी वाहन से अहमदाबाद से सोमनाथ जाते समय तेज भूख लग गई थी... वाहन चालक ने एक जगह गाड़ी रोकी और हमें खिचड़ी भोजन कर लेने का सुझाव दिया था। हमलोग राजगढ़ खिचड़ी खाये और उसका स्वाद हमलोगों की आत्मा में बस गया..।
मुझे या यों कहो हमारे परिवार में सभी को.. खिचड़ी बेहद पसंद है... चावल दाल वाली चलती है.. तहरी सब्जी वाली दौड़ती है... घी, दही, पापड़, चोखा, आचार के संग वाली... लेकिन खिचड़ी भाषा, धोखा वाली होकर नजरों में चुभती है...।. सभी क्षेत्रीय भाषा का सम्मान करती हूँ। लेकिन आजादी अंग्रेजों से ली गई..! हिन्दुस्तान व हिन्दी लेखन में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग उचित समझने वाले... अंग्रेजी लिखते समय यह दलील क्यों नहीं दे पाते हैं कि अंग्रेजी बोलने व लेखन में हिन्दी शब्दों का प्रयोग भी उचित है..?"
मध्याह्न "ढ़ाई बजे" भोजन के मेज पर
"साऊथ के चारों राज्यों में ऑटो-गाड़ी चलाने वालों ने हिन्दी सीख रहे बोल रहे। वहाँ जाने वाले अन्य राज्यों के लोग तमिल कन्नड़ इत्यादि क्यों नहीं सीख रहे ? मेरी बहू का सवाल था।
"जिन्हें जिस देशज भाषा की आवश्यकता पड़ती है वे उस भाषा को जरुर सीख लेते हैं। मैं बहुत सारे बिहारियों को जानती हूँ जो कन्नड़ तमिल उड़िया मराठी बांगला अच्छे से बोल-समझ लेते हैं...,"
विमर्श का रूप बहस में बदल रहा था.. । घर में तनाव बढ़ रहा था।
"तुम मेरी बहू कन्नड़ हो, अगर तुम कोंकणी ही बोलने के जिद पर अड़ी रहती तो...?"
रात्री भोजन के बाद सोने जाने के पहले का पटाक्षेप करने वाला मेरा प्रश्न मेरी ओर से था... कैलीफोर्निया में १४ सितम्बर २०२०, रात के बारह बजकर पैतीस मिनट हो रहे थे..
हिन्दी सदैव जय हो.. हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की अशेष शुभकामनाएँ।
हार्दिक आभार आपका
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 14 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteअंग्रेजी बोलते समय तो बीच में बीच-बीच में बहुत से लोग हिंदी जरूर बोलते हैं लेकिन लिखने में भी देखने को मिले तो यह प्रयोग भी होना चाहिए
ReplyDeleteलेकिन अंग्रेजी भाषी लोग खिचड़ी पसंद नहीं करते वह तो हम हिंदी भाषियों को ही भाती है, लेकिन यह भी सत्य है की जब ऐसे लोगों का पेट ख़राब हो तो इन्हें भी खिचड़ी खानी ही पड़ती है
वैसे हिंदी की खाने वाले भी अंग्रेजी में बात करना अपना गौरव समझते है ये बिडंबना है
बहुत अच्छी सामयिक चिंतन प्रस्तुति
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं। अमेरिका में भी हिन्दी के लिए आपका कार्य करता रहना अभिभूत कर रहा है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
शुभकामनाएं हिन्दी दिवस की।
ReplyDeleteबहुत रोचक प्रस्तुति। हमें तो लग रहा है कि हिंदी बड़ी तेजी से फैल रही है। 'हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है' यह कहने के पहले हमें कोई राष्ट्रभाषा की परिभाषा बताये। अब तो यह 'अन्तर्राष्ट्र' की राह पर चल पड़ी है।
ReplyDeleteबहुत रोचक प्रस्तुति | ऐसा विमर्श बहुत सार्थक है | बौद्धिकता भरे विमर्श की एक झलक दिखाता संस्मरण | हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय दीदी |
ReplyDeleteनयानाभिराम पारिवारिक चित्र!
ReplyDeleteअति मनभावन ... शुभकामनाएँ ।
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