Monday, 7 March 2022

मोर का पैर

"एक तरफ आपका शहर स्मार्ट सिटी के होड़ में है दूसरी तरफ आप उदाहरण बनती जा रही हैं।"
"अरे! मेरे समझ में नहीं आ रहा है आप कहना क्या चाह रही हैं?"
"घर-घर तक पानी-गैस पाइप चला गया, बिजली की चकाचौंध है, अनेक मॉल, ब्रांडेड पोशाकों के बड़े-बड़े दुकान खुल गए, थमे अपार्टमेंट पूरे हो गए.. फुट ब्रिज-ओवरब्रिज के जाल बिछ गए, शराब बन्दी हो गए.."
"सरकारी कार्यालयों में रिक्तियों में बहाली नहीं, चिकित्सा में उन्नति नहीं, शिक्षा ठप्प होने के कगार पर, कुछ वर्षों के बाद प्रत्येक घर वृद्धाश्रम बन जायेगा।  बिन ब्याही माँ बनी चौदह-पन्द्रह साल की बच्चियों का आश्रयस्थल, शेल्टर होम की कहानी इसी शहर के किसी कोने में है,शराब बन्दी की खूब कही: दस करोड़ की उगाही माफिया-पुलिस-नेताओं के जेब में आज भी जा रही। अध्यापक-अध्यापिकाओं को आदेश मिला है शराबियों को पकड़ने का.. जैसे पिटाये खुले में शौच करने वालों को पकड़ने में, कर लें शिकार बड़े-बड़े मगरमच्छ, शार्क ह्वेल, एक बार औचके में राज्याध्यक्ष के घर का..."
"तुम न बड़ी वाली मक्खी हो जो बिगड़े घाव पर...,"
"जैसे बिगड़े घाव से ही तो राज्य की पहचान है., वैसे ही आर्थिक परतंत्रता देकर नारी सशक्तिकरण है!"

13 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-3-22) को "महिला दिवस-मौखिक जोड़-घटाव" (चर्चा अंक 4363)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार

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  2. सस्नेहाशीष के संग हार्दिक आभार आपका

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  3. बहुत प्रभावशाली!!

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  4. उत्कृष्ट और सारगर्भित भी, महिलादिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ👏🏻💐

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  5. सारगर्भित लेख! वार्ता के रूप में।

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  6. बहुत सुंदर और सटीक।

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  7. जैसे बिगड़े घाव से ही तो राज्य की पहचान है., वैसे ही आर्थिक परतंत्रता देकर नारी सशक्तिकरण है!"..बिलकुल सही

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  8. सशक्त रचना ।

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  9. सटीक और प्रभावी आलेख

    सादर

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  10. जैसे बिगड़े घाव से ही तो राज्य की पहचान है., वैसे ही आर्थिक परतंत्रता देकर नारी सशक्तिकरण है!"
    सटीक एवं सशक्त सृजन।

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  11. सोचने पर मजबूर करती पोस्ट ....

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