हर-हर महादेव : ॐ नमः शिवाय
महात्रिरात्रि
विप्लपत्र में घिरी
मीन की भीड़
शिव=अत्रि
महात्रिरात्री=महाशिवरात्रि
एक की खुशी
दूसरे के लिए
परेशानी का कारण
नहीं होना चाहिए
"मैंने सभी प्रकार के मुख्य शल्य क्रिया का शुल्क एक कर देने का निर्णय लिया है। इससे समाज में यह सन्देश जायेगा कि हमारे अस्पताल में प्रसव से धन उगाही के उद्देश्य से शल्य क्रिया नहीं की जाती। मेरे इस निर्णय से आपलोग भी सहमत होंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ।" अस्पताल के प्रबंधक ने अपनी मंडली के सम्मुख कहा।
"महोदय आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? गरीबों से आप और आपकी स्त्री रोग विशेषज्ञ पत्नी द्वारा की गई शल्य- क्रिया की कोई राशि नहीं ली जाती है। आप पहले से ही ‘सोसाइटी फॉर एजुकेशन, एक्शन एंड रिसर्च इन कम्यूनिटी हेल्थ’ ट्रस्ट की स्थापना कर अपनी सारी कमाई दान कर रहे हैं। आपके पास आने वाले रोगी खुशी से राशि खर्च कर सकते हैं। उन्हें आपलोगों पर पूरा विश्वास होता है।"
"आपलोग तो ऐसा कह रहे हैं मानों मैं महादेव हूँ और गणेश के कटे सर को जोड़ सकता हूँ..!"
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 02 मार्च 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका छोटी बहना
Deleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-03-2022) को चर्चा मंच "शंकर! मन का मैल मिटाओ" (चर्चा अंक 4357) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर प्रणाम के संग हार्दिक आभार आपका
Deleteशुभकामनाएं। महोदय की जगह महदेव सुन लिये होंगे :)
ReplyDeleteसुंदर भाव।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक सराहनीय लघुकथा ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सार्थक सृजन।
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