Saturday, 5 March 2022

बेलौस वाई गुणसूत्र


रात को जब सास-ससुर और बच्चों का खाना निपट गया, तो पतीश्वर के आने की आहट सुनते ही वह हुलसकर दरवाजा खोलने गयी, "आज कुछ ज्यादा काम था ? " ....थोड़े सहमे स्वर में पूछ लिया।

बच्चों की पढ़ाई-परवरिश की कोई चिन्ता नहीं। वृद्ध माता-पिता की सेवा हो रही। रिश्तेदारों-अतिथियों का स्वागत में कोई कसर नहीं रह रहा। पच्चीस साल से मिली एक सुघड़ सेविका पत्नी के होने का परम् आनन्द है पतीश्वर महोदय को। रात का वह पल आया जब पतीश्वर का नाखून पत्नी के उस-उस घाव पर भी गया जो सूख ही नहीं पा रहा था।

एक आह के साथ उसने विरोध का स्वर मुखर करना चाहा लेकिन पंजा में दबा..। दबी-दबी सी फफक रही थी पर पतीश्वर को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। विरोध ज्यादा देर तक नहीं चल पाया क्योंकि बिलकुल साथ वाला कमरा सास-ससुर का था । पतीश्वर के करवट बदलते वह आँगन में आकर बैठ गयी। थोड़ी देर में उसके सामने एक लिफाफा लहराने लगा। 

"तुम ध्यान से पुनः पढ़ लेना.." झटके से पलट कर देखी तो उसकी सास ने कहा।

वह पढ़ने लगी :- सरकार : अनुज्ञा पत्र

प्रिय महोदय/महोदया

आपको वाहन चलाने के लिए अधिकृत अनुज्ञा पत्र प्राप्त होने पर बधाई !

एक जिम्मेदार चालक के रूप में यह आपका दायित्व है कि "आप परिवहन नियमों से भिज्ञ रहें तथा वाहन को गति-सीमा के भीतर रहते हुए सुरक्षित रूप से चलायें ।

'आपका जीवन बेहद मूल्यवान है।'

पथ पर एक सीमित गति से वाहन चलाएंगे, 'पथ पर उग्र प्रतिस्पर्धा' में नहीं पड़ेंगे तो यह अनुज्ञा पत्र आपको गति और प्रगति दोनों का हकदार बना देगा।

हमारी शुभकामनाएँ सदैव आपके साथ रहेंगी।

शुभेच्छु

परिवहन विभाग

"तुम्हारी जीवन-गाड़ी कैसे चले यह तुम्हें ही तय करने का पूरा अधिकार है।" सास ने कहा

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 07 मार्च 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (07 मार्च 2022 ) को 'गांव भागते शहर चुरा कर' (चर्चा अंक 4362) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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