Wednesday 6 July 2022

सूक्ष्म स्थूल

अब वह जीवन के सन्ध्या में आ पहुँचा था। युवावस्था से उसके निजी जिन्दगी में खिजा ही छाया रहा क्यों कि पत्नी बिना तलाक लिए अलग रह रही थी। पत्नी को सन्देह था कि उनके इर्दगिर्द रहने वाली महिलाओं से उसके पति का गलत सम्बन्ध था जबकि उन महिलाओं का कहना था कि उतनी सुरक्षित तो कभी रहती ही नहीं। उसके घर में पल रहे पक्षी को बिल्ली झपट्टा मार दी बिल्ली को पालतू कुत्ता रपेट दिया। कुत्ता स्वाभाविक रूप से दम तोड़ दिया। अचानक से आये प्राकृतिक प्रहार से उसके घर में सुनामी आ गया था।
अपने बेहद करीबी को प्रतिदिन अपने घर बुलाने लगा जिसे सदा हिन्दी में लिखने के लिए प्रेरित किया करता था..। सैकड़ों छोटी-बड़ी बात उससे साझा करता। किसी दिन घर से भागी लड़कियों पर चर्चा करता, मतलब उसका मानना था कि घर से भागी लड़कियाँ सैकड़ों बार अपनी डायरी और अपने सपनों में भागी होती हैं।

किसी दिन वह कहता कि वह अत्यधिक प्रेम से ऊब जाता है..

किसी दिन किस्सा सुनाता कि कैसे उसे अपनी करीबी मित्र से प्यार हो गया था लेकिन बस इकतरफा वह महिला तो अपने पति के प्रति वफादार थी।

"अच्छा! आप यह बताइये कि यह जो आप महीनों से मुझसे जो बातें साझा कर रहे हैं उसके पीछे उद्देश्य क्या है?"

"यह बातें मेरे दो-चार करीबी जान समझ रहे हैं। वे लोग या तो हिन्दी, मैथली, अवधि, या भोजपुरी में लिखेंगे। तुम ही एकमात्र हो जो इन्हें अंग्रेजी में लिखोगे।"

8 comments:

  1. कभी कभी अकेले भी रहते हैं मूर्ख तब हल्के में लिया जा सकता है :)
    अकेले रहने में महसूस भी हल्का होता है :)
    वैसे मूर्खता भी सापेक्ष होती है कभी हम भी पूरे के पूरे मूर्ख हो लेते हैं :) :) :)

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 7.7.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4483 में दिया जाएगा | चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 07 जुलाई 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  4. मूर्ख समूह में ज्यादा मुर्खता करता है... ये नयी बात पता चली ......वैसे जीवन में मूर्ख बने रहना ज्यादा सुरक्षित है ...... जीतनी चतुराई उतनी ही परेशानी ..

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  5. सोचने को बाध्य करती सुंदर पोस्ट ।

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आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

अनुभव के क्षण : हाइकु —

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