प्रदर्शी का जन सैलाब उमड़ता देखकर और विक्री से उफनती तिजोरी से आयोजनकर्ता बेहद खुश थे। जब बेहद आनन्दित क्षण सम्भाला नहीं गया तो उन्होंने अपने मातहतों से कहा,-"इस साल तुम्हारा बोनस दोगुना होगा।"
उनकी बात सुनते ही मातहतों में खुसर-फुसर शुरू हो गई.. –"वैश्विक युद्ध और लॉकडाउन की परिस्थितियों में एक साथ मिलकर चित्रकार, कशीदाकार, करघा कर्मकार सभी ने हालातानुसार 'भावनात्मक समानुभूति' से कपड़ों पर काम किया और उन वस्त्रों को देखकर हमें कितनी डांट खानी पड़ी थी।"
"कोई बात नहीं इनाम भी तो हमें ही मिल रहा है।"
वन विहार–
पक्षी उकेरा वस्त्र
प्रदर्शनी में।
सस्नेहाशीष व शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना..
ReplyDeleteहर तरफ उजाला हो इस भोर का।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया ,इनाम सब कुछ भूला देती है ,शुभ प्रभात
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