"सुनो! तुम जबाब क्यों नहीं दे रही हो? मैं तुमसे कई बार पूछ चुका हूँ, क्या ऐसा हो सकता है कि किसी भारतीय को गोबर का पता नहीं हो ?"
"क्या जबाब दूँ मेरे घर में ही ऐसा हो सकेगा.. मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी..!"
"आप दोनों आपस में ही बात कर रहे हैं और मुझे मेरे ही कमरे में कैद कर तथा मुझे ही कुछ बता नहीं रहे हैं। क्या मुझे कोई कुछ बतायेंगे?"
"क्या तुम कुछ ऑर्डर पर मंगवाए थे?"अंततः पिता ने पुत्र से ही पूछा।
"हाँ! मैं अमेजन से 'काऊ डंग केक' मंगवाया था। 50% डिस्काउंट पर दो सौ में लगभग पाँच इंच के गोलाकार 12 पीस आया था। परन्तु उसका स्वाद बहुत अजीब था और मेरा पेट भी खराब हो गया। मैं अमेजन के फीड बैक में बताते हुए लिखा भी है कि अगली बार थोड़ा करारा भी बनाकर बेचे।"बेटे की आवाज सुन पिता को अपनी माँ की याद बहुत आने लगी।
"जब से तुम पिता बने हो मेरे पास अकेले आते हो.. इच्छा होती है मेरा पोता गाय का ताजा दूध पीता। तुम जिस तरह गाय को दुहते समय ही फौव्वारे से पी लेते थे। बछड़े से खेलता।"
अपनी माँ के कहने पर हर बार वह कहता," यह हाइजेनिक नहीं है।"
"आप कहाँ खो गए? मैं अपनी गलती स्वीकार तो करती हूँ। लेकिन उन एक सौ पैतालीस लोगों को क्या कहूँ जिन्होंने एमोजन को दिए इसके फीडबैक को पसन्द किया और इसे सही ठहराते हुए शाबासी दिया..।
आज की पीढ़ी इतनी बेवकूफ तो नहीं हो सकती
ReplyDeleteसुन्दर लेख
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक।
ReplyDelete--
राष्ट्रीय बालिका दिवस की बधाई हो।
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बहुत अच्छी लघुकथा...विश्वास नहीं होता दी।
ReplyDeleteअवगत करवाने हेतु दिल से आभार।
लाजवाब!
बहुत कटु सत्य।
ReplyDeleteइस कहानी के पीछे की घटना को मैंने भी पढ़ा, ट्विटर पर बहुत वायरल हुआ था ये... और सिर्फ एक ही शार्षक ध्यान में आया ''कूढ़मगज''
ReplyDeleteप्रभावशाली सृजन।
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