सर्प चाल में
श्रृंग से भू पे जल–
सद्यस्नाता स्त्री।
सद्यस्नाता स्त्री की तस्वीर
कब बनी कैसे बनी चिंतनीय नहीं है।
चिंतनीय है बुजुर्गों के पसंद में पाया जाना।
नारी सौंदर्य के कई पुजारियों से भेंट
आते जाते टहलते सफर करते हो ही जाती है।
सही गलत की बात मत करो
मुद्दे की बात मत करो
शाहीन बाग में बैठना हो
या दिल्ली में मतदान करना हो
आरोप की बात मत करो
मादा गोश्त के लिए मुद्दे की बात
कभी नहीं रही।
इश्क मोहब्बत की बात ही मत करो।
नारी तय तो कर ले!
वो शिकार , शिकारी या
सामान्य इंसान के रूप में है
उसे अपनी स्वतंत्रता सीमांत
तय करना आसान हो जायेगा..
आज तक में हर पड़ाव पार कर
नारी यहाँ तक पहुँच चुकी है...
अधिकार और दायित्वबोध नारी में है
तो वह पूरी तरह स्वतंत्र है
वरना...
बच्चे पालती सेज सजाती पत्नियाँ पसंद है और
पुरुष के पसंद को अपना भाग्य बनाती
औरतों ने ही उन्हें ऐसा रहने दिया है
फेसबुक सूची से जुड़ा मैसेंजर में गुलाब दें
सुंदर लड़कियों की तस्वीर पोस्ट पर लगायें
और उनके ही फेसबुक सूची में
जुड़ा कोई मनचला भाभी सम्बोधित कर दे...
इन बलात्कारियों को क्या कहें
दोष कुछ महिलाओं का भी है
जिनके कारण
सब धान बाइस पसेरी नजर आता है...
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 14 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना
Deleteइसी मामले में सोच काफी मिलती जुलती है।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
जो परिवेश दिया जाता है उसे ही स्त्रियां भाग्य कैसे मान लेती है?? और कब तक मानती रहेगी?
लाजवाब रचना।
आइयेगा- प्रार्थना
बहुत सुंदर और सटीक रचना दीदी
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