Thursday, 31 December 2020

असीम शुभकामनाएँ

 नूतन वर्ष की हार्दिक बधाई ..

दायित्व में पस्त अधिकारों की होती बेक़रारी।

हाय तौबा मचा लेते हैं खड़ा होकर किनारी।

विगत क्या आगत क्या रंगों की उलझन बड़ी,

जान-ए ली चिलम जिनका पर चढ़े अंगारी।

शून्य कोई होना नहीं चाहता

शून्य कोई पाना नहीं चाहता।

जिन्दगी कल थी उन्नीस–बीस,

कल हो जाएगी इक्कीस-बाइस।

लगे हुए हैं सब कोई बेचने में

एस्किमो को आइस।

गाँठ में जोड़ कर रखें पाई-पाई

नव वर्ष की हार्दिक बधाई।

मैं क्या हूँ

सारे फ़साद की सोर उम्मीद है।

नमी में आग का कोर उम्मीद है।

सोणी के घड़े सा हैं सहारे सारे,

ग़म की शाम में भोर उम्मीद है।

13 comments:

  1. यथार्थ रचना।
    बहुत बहुत शुभकामनाएं दी आपको भी।
    सादर।

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 01-01-2021) को "नए साल की शुभकामनाएँ!" (चर्चा अंक- 3933) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
    धन्यवाद.

    "मीना भारद्वाज"

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  3. नव वर्ष मंगलमय हो सभी को सपरिवार। सुन्दर।

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 31 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. वाह
    बहुत सुंदर सृजन

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  6. सारे फ़साद की सोर उम्मीद है।

    नमी में आग का कोर उम्मीद है।

    सोणी के घड़े सा हैं सहारे सारे,

    ग़म की शाम में भोर उम्मीद है।
    सुंदर संदेश देती सार्थक कृति..नव वर्ष की असीम शुभकामना सहित जिज्ञासा सिंह..।

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  7. सुन्दर प्रस्तुति

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  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति..!
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीया।

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  9. बहुत सुन्दर रचना | नव वर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभ कामनाएं |

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  10. वाह,
    सुंदर रचना.. बहुत खूब 🌹🙏🌹

    नववर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं ⭐🌹🙏🌹⭐

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  11. बहुत सुन्दर सृजन - - नूतन वर्ष की असंख्य शुभकामनाएं।

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