Tuesday 18 January 2022

विभिन्न स्वतंत्रता

 

प्रवासी इन्द्र अपनी यात्रा की यादों को छायांकन के माध्यम से साझा कर रहा था।

 "बहुत सुन्दर-सुन्दर तस्वीरें। लेकिन इन तस्वीरों में आपदोनों के अलावा, वहाँ का कोई और नहीं दिखलाई दे रहा... क्या छुट्टियाँ चल रही थी ?" एलबम देखते हुए राघव ने पूछा।

"छुट्टीयाँ चले या ना चले, बिना अनुमति वहाँ किसी का फोटो कोई अन्य नहीं ले सकता..., ध्यान रखना होता है कि गलती से भी गलती ना हो जाये।"

 "जी ठीक कहा। वहाँ निजता का बहुत ख्याल रखा जाता है। अपना भारत थोड़े न है , जब चाहें जिसे चाहें गरिया लें। अब तो रचनाओं में भी अपशब्दों से परहेज नहीं किया जाता।"

°°°

नानी के नुस्खे

माता से मुझे मिले–

कलमी आम

मूल पिता को

वंशावली में ढूँढे–

वट जटाएँ

8 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (19-01-2022) को चर्चा मंच     "कोहरे की अब दादागीरी"  (चर्चा अंक-4314)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  2. स्वतंत्रता या स्वतंत्रता की गुलामी?

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  3. भारत थोड़े न है , जब चाहें जिसे चाहें गरिया लें।
    बहुत सुन्दर सटीक एवं बेहतरीन हायकु।

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  4. सटीक चोट!
    भारत थोड़े न है।
    सुंदर अभिव्यक्ति।

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  5. बहुत ही उम्दा प्रस्तुति

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  6. बहुत सुंदर तथ्यपूर्ण

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अनुभव के क्षण : हाइकु —

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