Saturday 2 January 2021

हाइकु व वर्ण पिरामिड

 नूतन वर्ष–

इग्लू में नित्या खेले

आँखमिचौली।

नवल वर्ष–

पहाड़ी भूत खेले

आँखमिचौली।

सूर्य को ढूँढूँ

पहाड़ी की राहों में–

नवल भोर।

हाइकु कार्यशाला 12 दिसम्बर 2020

28 दिसम्बर 2020 के कार्यशाला की रिकॉर्डिंग 

शीर्षक = प्रदत्त चित्र पर सृजन

 विधा - ''वर्ण पिरामिड''

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रे!

घूरे

घस्मर

धुँध कुआँ

स्मर समर

कथरी में डर

रक्तप चीं-चीं स्वर।{01.}

>><<

हाँ!

कौड़ा

लौ ढाना

लौ हो जाना

लौ से लौ होना

लौ छोड़ सोचना

तख़्ती जली कि सोर?{02.}

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सधन्यवाद


12 comments:

  1. वाह कितनी सुंदर तस्वीरें हैं।
    हायकू बहुत अच्छे है।
    आपके जीवन की हर भोर खुशियों का पैगाम लेकर आये मेरी कामना है।
    प्रणाम दी।
    सादर।

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  2. नव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (03-01-2021) को   "हो सबका कल्याण"   (चर्चा अंक-3935)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --
    नववर्ष-2021 की मंगल कामनाओं के साथ-   
    हार्दिक शुभकामनाएँ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    Replies
    1. वन्दन संग हार्दिक आभार आपका आदरणीय

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  4. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार पुत्तर जी

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  5. वाह , बहुत खूब !

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  6. बहुत सुन्दर रचना।
    *इस साल न कोरोना, न कोरोना का रोना,*
    *अब तो हमें नई उम्मीदों के नए बीज बोना।*
    *उग आएं दरख़्त इंसानियत से फूले-फले,*
    *महक उठे हर दर, हर घर का कोना-कोना।।*

    *नव-वर्ष मंगलकारी हो, परम उपकारी हो।*

    शुभेच्छाओं सहित।

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  7. लाजवाब और सशक्त लेखन दी! तस्वीरों के साथ भावाभिव्यक्ति की शोभा द्विगुणित हो गई।

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  8. अति सुन्दर । हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  9. वाह! अद्भुत सृजन सुंदर मोहक तस्वीरें।
    नववर्ष मंगलमय हो आपको एवं आपके सकल परिवार जनों को।
    सस्नेह।

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  10. बहुत बढ़िया हायकु।

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आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
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